अश्वगंधा (Withania Somnifera) एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधीय जड़ी-बूटी है जिसे ‘भारतीय जिनसेंग’ या ‘विंटर चेरी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह औषधीय पौधा 3 फीट तक ऊँचाई तक बढ़ता है और मुख्य रूप से भारत में इसकी खेती की जाती है। यह जड़ आयुर्वेद में कई रोगों के उपचार के लिए उपयोग की जाती है और विशेष रूप से वात और कफ दोषों को संतुलित करने में सहायक मानी जाती है।
स्वास्थ्य लाभ:
अश्वगंधा जड़ पुरुषों और महिलाओं दोनों के प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है।
मांसपेशियों की सूजन को कम करने और हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती है।
यह एनीमिया के इलाज में सहायक है और लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ाने में मदद करती है।
मस्तिष्क के कार्यों को सुधारने और स्मरण शक्ति को बढ़ाने में सहायक है।
यह जड़ तंत्रिका तंत्र को मजबूत करती है और मानसिक तनाव को कम करती है।
आयुर्वेद में इसे वात और कफ दोषों को संतुलित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
सेवन विधि:
1/4 से 1/2 चम्मच अश्वगंधा जड़ को कूटकर पाउडर बना लें।
इसे 2 कप पानी में उबालें, आवश्यकतानुसार थोड़ा अदरक और शहद मिलाकर सेवन करें।
नियमित रूप से सेवन करने पर तनाव कम होता है और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं।













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