जंगली हल्दी, जिसे आयुर्वेद में हरित्रा कहा जाता है, एक पारंपरिक औषधीय जड़ी-बूटी है जो त्वचा संबंधी समस्याओं, सांप के ज़हर और सौंदर्य निखार में उपयोगी होती है। कस्तूरी मंजनाल या जंगली हल्दी का उपयोग दक्षिण भारत और अन्य हिस्सों में कॉस्मेटिक उत्पादों में भी किया जाता है।
इसमें सुगंधित गुण और औषधीय तत्व पाए जाते हैं जो त्वचा की रंगत और बनावट को सुधारने में मदद करते हैं। यह हल्दी पूरी तरह से बाह्य उपयोग के लिए उपयुक्त है और सौंदर्य व त्वचा-चिकित्सा में पारंपरिक रूप से प्रयुक्त होती रही है।
पोषण तथ्य (प्रति 100 ग्राम):
कुल वसा: 3.3 ग्राम
संतृप्त वसा: 1.8 ग्राम
सोडियम: 27 मि.ग्रा
कार्बोहाइड्रेट: 67 ग्राम
आहार फाइबर: 23 ग्राम
शक्कर: 3.2 ग्राम
प्रोटीन: 9.7 ग्राम
कैल्शियम: 168 मि.ग्रा
आयरन: 55 मि.ग्रा
पोटेशियम: 2080 मि.ग्रा
स्वास्थ्य लाभ:
त्वचा की रंगत निखारने और त्वचा टोन को बेहतर बनाने में सहायक।
मुंहासों और दाग-धब्बों को कम करता है।
अतिरिक्त तैलीयता हटाता है और झुर्रियों, फाइन लाइन्स जैसे उम्र के लक्षणों को कम करता है।
शरीर में दर्द से राहत प्रदान करता है।
चेहरे के अनचाहे बालों को हटाने में सहायक।
घाव और सांप के काटने के इलाज में उपयोगी।
गुनगुने नारियल तेल के साथ मिलाकर लगाने पर बालों की वृद्धि को प्रोत्साहित करता है।
सेवन विधि (केवल बाह्य उपयोग):
आवश्यक मात्रा में सूखी जंगली हल्दी का पाउडर लेकर उसमें नारियल तेल मिलाएं। इस मिश्रण को घाव या खुजली वाली त्वचा पर लगाएं। नियमित उपयोग से राहत मिलती है।














Reviews
There are no reviews yet.