कपोक बड्स, जिन्हें मराठी मोग्गु या शाल्मली के नाम से जाना जाता है, Ceiba Pentandra प्रजाति के वृक्ष से प्राप्त होती हैं। ये कली मुख्य रूप से दक्षिण भारत के राज्यों जैसे कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के पारंपरिक व्यंजनों में उपयोग की जाती हैं। इन्हें विशेष रूप से पुलाव, बिसी बेले बाथ और अन्य चावल-आधारित व्यंजनों में डाला जाता है।
इन कलियों की प्राकृतिक सुगंध नहीं होती, लेकिन जब इन्हें भूनते हैं तो इनमें से एक अत्यंत मनमोहक सुगंध आती है, जो भूख बढ़ाती है। इसका स्वाद राई और काली मिर्च जैसा तीखा होता है।
स्वास्थ्य लाभ:
यह कली अस्थमा (दमा) रोग में उपयोगी मानी जाती है।
इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं।
यह फ्री रेडिकल्स को नियंत्रित करने में मदद करती है और शरीर में ऑक्सिडेटिव तनाव को कम करती है।
यह जड़ी-बूटी सर्दी, खांसी और त्वचा एलर्जी में लाभकारी है।











Reviews
There are no reviews yet.