मूलिहाई इंडिया प्रस्तुत करता है – थिरुमंजन पत्ताई, एक दिव्य और पवित्र छाल जो परंपरागत रूप से मंदिरों में देवताओं के अभिषेक, आध्यात्मिक ऊर्जा शुद्धिकरण और शरीर की प्राकृतिक डिटॉक्स प्रक्रिया के लिए उपयोग की जाती है। यह छाल दक्षिण भारत की प्राचीन परंपराओं से जुड़ी हुई है, विशेष रूप से शैव और वैष्णव संप्रदायों में पूजनीय मानी जाती है।
मुख्य विशेषताएँ:
पवित्र और शुद्ध करने वाली जड़ी-बूटी:
यह छाल देव प्रतिमाओं को शुद्ध करने, पूजा स्थानों की सफाई, और शरीर को ठंडक देने में उपयोगी है।
त्वचा और स्कैल्प की देखभाल:
प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर यह छाल त्वचा की जलन, घमौरियों और स्कैल्प की समस्याओं में लाभकारी है। गर्मियों और आर्द्र जलवायु में विशेष रूप से उपयोगी।
आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ावा:
थिरुमंजन पत्ताई का उपयोग ध्यान, योग, जप और पूजा के दौरान मानसिक शांति और ऊर्जा संतुलन प्रदान करता है।
उपयोग विधि:
पूजा / अभिषेक हेतु:
थोड़ी मात्रा में छाल को पानी में उबालें और इस जल से मूर्तियों को स्नान कराएं या पूजा सामग्री को शुद्ध करें।
शरीर की सफाई के लिए:
उबले हुए जल को स्नान जल में मिलाएं या हर्बल पाउडर के साथ मिलाकर पूरे शरीर पर लगाएं।
अरोमाथेरेपी के लिए:
इसकी खुशबू तन और मन को शांत करती है। उबले हुए पानी को पूजा, ध्यान या नींद के समय कमरे में रखें।



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